मनमा मनाेबल रहेन,तनमा तागत पनि रहेन पीडाका कथा उतार्ने कलम ,कागत पनि रहेन माघकाे बुकीफूलझैं कठाङ्ग्रिएकाे मेराे जुनीकाे विगत ता रहेन रहेन, अागत पनि रहेन । लक्ष्मी अच्युत ढुंङ्गाना झापा बाहुण्डागी